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सलाह: आयुर्वेद में बताए इन पांच उपायों से नियंत्रित करें शुगर का लेवल, कुछ दिनों में ही दिखने लगेगा लाभ

Medically reviewed by-
आचार्य मनीष
(आयुर्वेदाचार्य)
शुद्धी आयुर्वेद, दिल्ली


कोरोना वायरस का संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और विभिन्न अंगों के कार्यों को प्रभावित कर सकता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कोरोना वायरस लिवर को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे शरीर में ग्लूकोज बढ़ा जाता है जोकि डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। कुछ अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि जिन लोगों को पहले से डायबिटीज की शिकायत नहीं थी, उनमें भी संक्रमण के बाद इस तरह का समस्याएं देखने को मिल रही हैं।


स्वास्थ्य विशेषज्ञ डायबिटीज को ऐसी गंभीर बीमारी मानते हैं जो शरीर को धीरे-धीरे खोखला बनाती जाती है। कोविड-19 संक्रमण के दौर में डायबिटीज का नियंत्रण रखना और भी आवश्यक हो गया है। आइए इस लेख में आयुर्वेदिक माध्यम से डायबिटीज की रोकथाम के बारे में विस्तार से जानते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञों का दावा है कि बताए जा रहे उपायों का नियमित रूप से पालन करके मधुमेह की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित रखा जा सकता है। आगे की स्लाइडों में विस्तार से इन उपायों के बारे में जानिए।

हल्दी का सेवन है विशेष लाभकारी

आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर इसका सेवन करना काफी फायदेमंद हो सकता है। मधुमेह से लड़ने में यह काफी मददगार साबित हो सकता है, साथ ही शरीर में इंसुलिन के कार्य में भी इससे सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा भोजन में हल्दी का इस्तेमाल करना भी काफी फायदेमंद है क्योंकि यह ट्राइग्लिसराइड्स को बढ़ने से रोकने में सहायक हो सकता है। ट्राइग्लिसराइड्स खून में पाए जाने वाला एक प्रकार का वसा (लिपिड) है।

मधुमेह रोगियों के लिए आंवले का फायदा 
आयुर्वेद के अनुसार आंवले को मधुमेह रोधी माना जाता है। इंसुलिन स्रावित करने वाली अग्नाशयी कोशिकाओं में किसी भी तरह की असामान्यताओं को ठीक करने में आंवले को काफी कारगर माना जाता है। आंवले में मौजूद क्रोमियम, कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म को आसान बनाने में सहायक होता है जो शरीर की इंसुलिन प्रतिक्रियाओं को ठीक कर देती है। मधुमेह से ग्रसित सभी लोगों को रोजाना एक आंवले का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

सूप का सेवन
डायबिटीज रोगियों के लिए मोरिंगा या लौकी का सूप पीना काफी लाभदायक माना जाता है। पहले तो यह सूप विटामिन और आवश्यक पौधों के रसायनों से भरपूर होते हैं, साथ ही शुगर ब्रेकडाउन और इंसुलिन स्राव की प्रक्रियाओं को आसान बनाने में भी इसे काफी फायदेमंद माना जाता है। पौधों से प्राप्त कई तरह के रसायन मस्तिष्क के सूजन को ठीक करके तनाव को कम करने में भी काफी मदद करते हैं। तनाव के कारण भी शरीर में शुगर का स्तर प्रभावित हो सकता है। 

आहार पर रखें विशेष ध्यान
आयुर्वेद के मुताबिक डायबिटिक रोगियों को शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ और तले हुए भोजन का सेवन कम से कम करना चाहिए। इसके अलावा भोजन में आयरन और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे रागी या ज्वार के आटे को शामिल करने का प्रयास करें। एक अनिवार्य कदम, रात का भोजन हल्का और स्वस्थ रखने की कोशिश करें। ऐसी सब्जियों और फलों का सेवन करें जो विटामिन, आयरन, एंटीऑक्सिडेंट और प्रोटीन से भरपूर हों जैसे पालक, लौकी, जामुन, सेब, पपीता आदि। डायबिटीज के नियंत्रण में यह सब काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

योग और व्यायाम के फायदे
योग और व्यायाम रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। तनाव या चिंता शरीर पर बुरा प्रभाव डालती हैं, योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इसे भी कम किया जा सकता है। कुछ योग मुद्राएं या व्यायाम इंसुलिन उत्पादन को सामान्य करने वाले अग्नाशयी कोशिकाओं के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। मेटाबॉलिज्म और पाचन क्रिया को बढ़ाने के लिए वज्रासन का अभ्यास करें। शुगर लेवल को बैलेंस करने के लिए रोजाना प्राणायाम, मंडुकासन, भुजंगासन करने से लाभ मिलता है।

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नोट: यह लेख प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य आचार्य मनीष के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आचार्य मनीष, शुद्धी आयुर्वेद के संस्थापक हैं।

अस्वीकरण: अमर उजाला के  हेल्थ एंड फिटनेस कैटेगिरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर और विशेषज्ञों,व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं. लेख में उल्लेखित तथ्यों और सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा परखा व जांचा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठकों की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और ना ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।


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